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Chapter 1 - bookofff

अर्जुन एक छोटे से गाँव में पैदा हुआ था, जहाँ गरीबी सिर्फ एक स्थिति नहीं थी—वो एक जीवनशैली थी। उसके पिता का बचपन में ही निधन हो गया, और माँ के साथ उसका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। सिर्फ 10 साल की उम्र में अर्जुन ने चाय बेचना शुरू कर दिया, और स्कूल जाते बच्चों को देखता, जिनकी किताबें उसके लिए एक सपना थीं।

लेकिन अर्जुन के पास कुछ खास था—दृढ़ संकल्प। वह पुराने किताबें उधार लेकर पढ़ता, सवाल पूछता, और हर रात सड़क के नीचे लगे मटमैले स्ट्रीटलाइट की रोशनी में पढ़ाई करता। उसकी माँ, चाहे जितनी भी थकी होती, मुस्कुराकर कहती, "एक दिन तू दुनिया बदल देगा।"

16 की उम्र में उसे एक पुराना स्मार्टफोन मिला जिसे किसी ने फेंक दिया था। उसने उसे ठीक किया, मुफ्त संसाधनों से खुद से कोडिंग सीखी और छोटे-छोटे ऐप बनाना शुरू किया। कई बार नाकाम हुआ—लेकिन हर असफलता उसे कुछ नया सिखा गई।

22 की उम्र में उसका एक ऐप वायरल हो गया। निवेशकों का ध्यान गया। उसने ऐसे बच्चों के लिए एक एजुकेशन कंपनी शुरू की, जो कभी उसी जैसे थे। कंपनी को जबरदस्त सफलता मिली। 30 की उम्र से पहले ही अर्जुन एक अरबपति बन चुका था।

लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि पैसे नहीं थे—वो पल था जब उसने अपनी माँ को उनके नए घर में ले जाकर चाबी उनके हाथ में दी और कहा, "माँ, आपका बेटा सफल हो गया… और ये सब आपके कारण ही हुआ है।"

माँ कुछ नहीं बोलीं। उनकी आँखों से बहते आँसू सब कुछ कह गए।

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